नीलगाय खेतों के आसपास भी नहीं भटकेंगी – बस मेड़ों में लगा दें ये खास फूल, और फिर किसान कहेंगे, “घोड़ा बेचकर चैन की नींद सो लूंगा”!

फसल की सुरक्षा आज के किसान की सबसे बड़ी चिंता बनी हुई है। खेतों में अनियंत्रित ढंग से घूमते हुए नीलगाय और अन्य जंगली जानवर फसल को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे मेहनत की कमाई पानी में चली जाती है। परंपरागत तरीके जैसे बाड़ लगवाना या जानवरों के भुलावे के महंगे उपाय अक्सर किसानों के बजट में नहीं आते। अब एक प्राकृतिक और सस्ता उपाय सामने आया है – मेड़ों में कुछ खास फूल लगाकर नीलगाय को खेतों से दूर रखा जा सकता है। इतना ही नहीं, यदि खेत सुरक्षित हो जाएं तो किसान उन अतिरिक्त पशुओं (जैसे घोड़ों) की जरूरत भी महसूस नहीं करेंगे, जिन्हें अक्सर खेत की सुरक्षा के लिए रखना पड़ता था।

Nilgai (नीलगाय)

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फूलों का चयन – प्राकृतिक समाधान

कुछ फूलों की तेज और अनोखी गंध नीलगाय जैसे जंगली जानवरों को भगा देने में कारगर सिद्ध होती है। इनमें से सबसे प्रभावी फूलों में शामिल हैं:

  • बबूने के फूल: इनकी खुशबू इतनी तीव्र होती है कि नीलगाय और अन्य जानवर इनसे दूर भागते हैं।
  • गेंदा: गेंदा के फूल की तेज गंध भी जानवरों को प्रभावित करती है और उन्हें खेत से दूर रखती है।
  • तुलसी और लेमनग्रास: इन पौधों की खुशबू भी प्राकृतिक रिपेलेंट का काम करती है।

इन फूलों को खेत के मेड़ों में इस तरह लगाना होता है कि पूरी सीमा पर एक समान खुशबू बनी रहे। इससे न केवल जानवर खेत में प्रवेश नहीं करेंगे, बल्कि फसल भी सुरक्षित रहेगी।


कैसे करें फूलों का रोपण?

  1. मेड़ों की तैयारी:
    • सबसे पहले खेत के चारों ओर की जमीन को अच्छी तरह से तैयार करें।
    • मिट्टी को साफ़ कर दें और आवश्यकतानुसार खाद मिलाकर उपजाऊ बनाएं।
  2. फूलों का चयन और रोपण:
    • उपरोक्त में से किसी भी या सभी फूलों के पौधों का चयन करें।
    • पौधों को मेड़ों की सीमा पर अंतराल बनाए रखते हुए लगाएं ताकि उनकी खुशबू समान रूप से फैल सके।
    • नियमित पानी और देखभाल से पौधे स्वस्थ रहें और तीखी गंध बनाए रखें।
  3. नियमित देखभाल:
    • पौधों की नियमित छंटाई करें और सुनिश्चित करें कि कोई रोग या कीट इनके विकास में बाधा न बने।
    • मौसम के अनुसार अतिरिक्त पोषण या खाद का प्रयोग करें ताकि पौधों की गंध बनी रहे।

किसान की खुशी – घोड़ा बेचकर चैन की नींद

जब खेतों के चारों ओर फूल लग जाएंगे और नीलगाय जैसी जानवर दूर रहेंगे, तो किसान की फसल की सुरक्षा सुनिश्चित हो जाएगी। इससे निम्नलिखित लाभ होंगे:

  • फसल का नुकसान न्यूनतम:
    प्राकृतिक तरीके से जानवरों को दूर रखने से फसल पर होने वाले नुकसान में काफी कमी आएगी।
  • कम खर्च में सुरक्षा:
    महंगे बाड़ और रासायनिक उपायों की जगह सस्ते और पर्यावरण के अनुकूल फूलों का उपयोग किया जाएगा।
  • अतिरिक्त पशुओं की आवश्यकता में कटौती:
    पहले अक्सर घोड़े या अन्य जानवरों को फसल की रखवाली के लिए रखा जाता था। अब जब फूलों की मदद से फसल सुरक्षित रहेगी, तो उन पशुओं को बेचकर किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं और चैन की नींद भी सो सकते हैं।

प्राकृतिक उपायों का प्रयोग करके किसान अपनी फसल की सुरक्षा कर सकते हैं और अपने खर्चों में भी कटौती कर सकते हैं। मेड़ों में बबूने, गेंदा, तुलसी और लेमनग्रास जैसे फूल लगाकर नीलगाय जैसी जानवरों को दूर रखा जा सकता है। इस सरल लेकिन कारगर उपाय से किसान फसल के नुकसान से बचेंगे, अतिरिक्त रखरखाव के खर्चों में कमी आएगी, और यदि पहले से रखे गए घोड़ों की भी आवश्यकता नहीं रहे तो उन्हें बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है।

इस तरह, प्राकृतिक तरीके से खेतों की सुरक्षा करते हुए किसान अपने मेहनत की कमाई को सुरक्षित रख सकते हैं और भविष्य में ज्यादा चैन से नींद भी सो सकते हैं।

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