खेत की मिट्टी की जांच कैसे करें? आसान तरीका!

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खेत की मिट्टी की जांच: आसान घरेलू और वैज्ञानिक तरीके

कृषि में अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की सेहत जानना बेहद जरूरी है। मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी या अधिकता फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए, समय-समय पर मिट्टी की जांच करके उसकी गुणवत्ता को समझें और उचित खाद या उपचार का चुनाव करें। यहां जानिए मिट्टी जांच के आसान तरीके:

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1. मिट्टी जांच क्यों जरूरी है?

  • मिट्टी का pH स्तर (अम्लीय या क्षारीय) पता करने के लिए।
  • नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश (NPK), जैविक कार्बन, और सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा जानने के लिए।
  • फसल के अनुसार उर्वरक की मात्रा तय करने में मदद मिलती है।
  • मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए सही निदान।

2. मिट्टी जांच के तरीके

A. वैज्ञानिक प्रयोगशाला जांच

  1. नमूना संग्रह:
  • खेत के अलग-अलग हिस्सों से 15-20 स्थानों पर 6-8 इंच गहराई तक मिट्टी खोदें।
  • इन सभी जगहों की मिट्टी को मिलाकर एक साफ कपड़े या बाल्टी में रखें।
  • मिट्टी को छाया में सुखाएं और कंकड़-पत्थर अलग करें।
  • 500 ग्राम मिट्टी को किसी साफ बैग में भरकर नजदीकी मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में जमा करें।
  1. रिपोर्ट समझें:
  • प्रयोगशाला से मिली रिपोर्ट में मिट्टी का pH, NPK स्तर, और सुझाई गई खाद की मात्रा दी जाएगी।
  • कृषि विशेषज्ञ की सलाह से खाद डालें।

B. घरेलू आसान तरीके

  1. pH स्तर जांच (सिरका और बेकिंग सोडा से):
  • दो अलग-अलग बर्तनों में मिट्टी के नमूने लें।
  • पहले बर्तन में सफेद सिरका मिलाएं: यदि झाग बने, तो मिट्टी क्षारीय (pH >7) है।
  • दूसरे बर्तन में बेकिंग सोडा और पानी मिलाएं: यदि झाग बने, तो मिट्टी अम्लीय (pH <7) है।
  • कोई प्रतिक्रिया न होने पर मिट्टी न्यूट्रल (pH 7) है।
  1. मिट्टी की बनावट जांच:
  • मुट्ठी में मिट्टी लेकर दबाएं।
  • रेतदार मिट्टी: ढीली होती है, हाथ से फिसल जाती है।
  • चिकनी मिट्टी: चिपचिपी और चमकदार होती है, आकार बनाए रखती है।
  • दोमट मिट्टी: नमी रोकने वाली और उपजाऊ होती है।
  1. जैविक कार्बन जांच:
  • मिट्टी को एक गिलास पानी में डालें।
  • यदि मिट्टी तेजी से डूब जाए, तो उसमें जैविक पदार्थ कम है।
  • यदि मिट्टी ऊपर तैरती रहे, तो जैविक कार्बन अधिक है।

3. सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाएं

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना:
  • केंद्र सरकार द्वारा मुफ्त मिट्टी जांच की सुविधा।
  • नजदीकी कृषि कार्यालय में आवेदन करें या मृदा स्वास्थ्य पोर्टल पर रजिस्टर करें।
  • 15 दिनों में मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिलेगा, जिसमें मिट्टी की स्थिति और सुझाव दिए जाते हैं।

4. महत्वपूर्ण सुझाव

  • मिट्टी जांच बुवाई से 2-3 महीने पहले करें।
  • हर 2-3 साल में मिट्टी की जांच दोहराएं।
  • जैविक खाद (केंचुआ खाद, गोबर) का उपयोग कर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएं।

5. समस्याएं और समाधान

  • मिट्टी अम्लीय है: चूना (लाइम) डालें।
  • मिट्टी क्षारीय है: जिप्सम या गोबर की खाद मिलाएं।
  • पोषक तत्वों की कमी: हरी खाद या रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें।

निष्कर्ष:
मिट्टी की जांच करना किसानों के लिए एक छोटा कदम है, लेकिन इससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता में बड़ा बदलाव आता है। आधुनिक तकनीक और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी मिट्टी को समझें और खेती को लाभदायक बनाएं!

लेखक: कृषि विशेषज्ञ, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
स्रोत: मृदा स्वास्थ्य पोर्टल, कृषि विभाग, भारत सरकार


यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। सटीक निदान के लिए प्रयोगशाला जांच अवश्य कराएं।

Manisha Mishra

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