अरहर की खेती से करें दोगुनी पैदावार – पूरी जानकारी
अरहर (तुअर या पीजन पी) दलहनी फसलों में प्रमुख स्थान रखती है। यह प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत होने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है। खरीफ के मौसम में इसकी खेती सही तकनीकों के साथ की जाए तो किसान अपनी पैदावार को दोगुना कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको अरहर की खेती से जुड़ी हर जरूरी जानकारी देंगे, जिसमें बुवाई, जोताई, खाद, सिंचाई, कीट नियंत्रण और देखभाल शामिल हैं।

1. अरहर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
✅ जलवायु: अरहर की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है। 25-35°C तापमान इसके लिए आदर्श माना जाता है।
✅ मिट्टी: बलुई दोमट और दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का pH 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए।
✅ बारिश की जरूरत: 600-1000 मिमी वार्षिक वर्षा इसकी अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक होती है।
2. खेत की तैयारी और जोताई
🔹 खेत को 2-3 बार अच्छी तरह से जोतें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
🔹 खेत की नमी बनाए रखने के लिए अंतिम जोताई के समय पाटा लगाना जरूरी है।
🔹 खेत को खरपतवार मुक्त रखें और जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
3. अरहर की बुवाई का सही समय और बीज दर
📅 बुवाई का समय:
- खरीफ फसल के लिए जून के अंत से जुलाई के मध्य तक बुवाई करें।
- बारिश जल्दी हो जाए तो जून की शुरुआत में भी बुवाई की जा सकती है।
📌 बीज दर:
- एकल पंक्ति विधि में: 8-10 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर।
- मिश्रित फसल प्रणाली में: 5-6 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर।
📏 पंक्ति से पंक्ति की दूरी:
- अरहर की लघु अवधि (120-140 दिन) वाली किस्मों के लिए 30-45 सेमी।
- लम्बी अवधि (180-220 दिन) वाली किस्मों के लिए 60-75 सेमी।
🌱 बुवाई की गहराई: बीज को 3-5 सेमी गहराई में बोना चाहिए।
4. उन्नत बीज और किस्में
अच्छी उपज के लिए प्रमाणित बीजों का चयन करें। कुछ प्रमुख HYV (High Yielding Varieties) किस्में नीचे दी गई हैं:
किस्म का नाम | पकने की अवधि (दिन) | औसत उपज (क्विंटल/हेक्टेयर) |
---|---|---|
UPAS 120 | 120-140 | 15-18 |
Pusa 9 | 150-160 | 20-25 |
ICPL 87 | 180-190 | 22-26 |
BSMR 853 | 200-220 | 25-30 |
MAL 13 | 170-180 | 18-22 |
5. उर्वरक प्रबंधन (खाद और पोषक तत्व)
✅ प्राकृतिक खाद: 10-15 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर बुवाई से पहले खेत में मिलाएं।
✅ रासायनिक उर्वरक:
उर्वरक | प्रति हेक्टेयर मात्रा |
---|---|
नाइट्रोजन (N) | 20-25 किग्रा |
फास्फोरस (P) | 50-60 किग्रा |
पोटाश (K) | 20-30 किग्रा |
जिंक सल्फेट | 20-25 किग्रा |
📌 सलाह: फास्फोरस और पोटाश को बुवाई के समय मिट्टी में मिला दें। नाइट्रोजन को दो बार – पहली खुराक बुवाई के समय और दूसरी 30-40 दिन बाद दें।
6. सिंचाई प्रबंधन
🚰 अरहर की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण समय पर सिंचाई जरूरी है:
1️⃣ बुवाई के तुरंत बाद (अगर बारिश न हो)।
2️⃣ फूल आने के समय (90-100 दिन बाद)।
3️⃣ फलियां बनने के समय (120-140 दिन बाद)।
🔹 खेत में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि अधिक पानी से फसल को नुकसान हो सकता है।
7. खरपतवार नियंत्रण
✅ खरपतवार प्रबंधन के लिए उपाय:
- बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली गुड़ाई करें।
- 40-50 दिन बाद दूसरी गुड़ाई करें।
- पेंडीमिथालिन 30 EC (1 लीटर/हेक्टेयर) का छिड़काव बुवाई के बाद करें।
8. कीट और रोग नियंत्रण
प्रमुख कीट:
🦗 फली छेदक (Pod Borer): यह कीट फलियों में छेद कर देता है, जिससे उत्पादन कम हो जाता है।
- नियंत्रण: नीम तेल (5%) का छिड़काव करें या स्पिनोसैड 0.5 मि.ली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।
🦟 चूसक कीट (Aphids, Thrips, Whitefly):
- नियंत्रण: इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मि.ली./लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
प्रमुख रोग:
🦠 फ्यूजेरियम विल्ट (Wilt Disease):
- नियंत्रण: बीज को कार्बेन्डाजिम (2 ग्राम/किग्रा बीज) से उपचारित करें।
🦠 पाउडरी मिल्ड्यू:
- नियंत्रण: सल्फर 2 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
9. कटाई और उपज
📅 कटाई का सही समय: जब 80-90% फलियां पक जाएं और पत्तियां पीली होने लगें, तब कटाई करें।
🔪 कटाई कैसे करें? दरांती से पौधों को काटकर 5-7 दिन तक सुखाएं और फिर दानों को निकालें।
📦 उत्पादन:
- औसतन 18-25 क्विंटल/हेक्टेयर उपज मिल सकती है।
- उन्नत तकनीकों से यह 30 क्विंटल/हेक्टेयर तक पहुंच सकती है।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1. अरहर की खेती के लिए सबसे अच्छी किस्म कौन-सी है?
UPAS 120, Pusa 9, BSMR 853 और ICPL 87 अच्छी उपज देने वाली किस्में हैं।
2. अरहर की बुवाई का सही समय क्या है?
खरीफ के मौसम में जून के अंत से जुलाई के मध्य तक।
3. अरहर में खाद कैसे दें?
बुवाई से पहले गोबर खाद और बुवाई के समय NPK उर्वरक डालें।
4. अरहर की फसल में कितनी सिंचाई करें?
3-4 सिंचाई पर्याप्त होती हैं, खासकर फूल और फली बनने के समय।
5. अरहर की फसल में कौन-कौन से कीट लगते हैं?
फली छेदक, सफेद मक्खी, माहू और थ्रिप्स आम कीट हैं।
निष्कर्ष
सही तकनीक अपनाने से अरहर की खेती में किसानों की उत्पादकता और मुनाफा दोगुना किया जा सकता है। उन्नत बीज, संतुलित उर्वरक, सिंचाई और कीट नियंत्रण से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बेहतर होगा। 🚜🌾
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