ड्रिप इरिगेशन सिस्टम (टपक सिंचाई) कृषि और बागवानी में पानी के कुशल उपयोग के लिए विकसित एक आधुनिक सिंचाई प्रणाली है। इसमें पानी को बूंद-बूंद करके सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है, जिससे पानी, उर्वरक और श्रम की बचत होती है। यह तकनीक विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए उपयोगी है जहां पानी की कमी है या मिट्टी की गुणवत्ता असमान है।

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम
- हेडर असेंबली: पानी के दबाव और प्रवाह को नियंत्रित करती है।
- फिल्टर: पानी में मौजूद मिट्टी, काई, और कचरे को साफ करता है।
- मेनलाइन और सबमेनलाइन: पीवीसी या एचडीपीई पाइप से बनी होती हैं, जो पानी को खेत तक पहुंचाती हैं।
- ड्रिपर्स/एमीटर्स: पानी को नियंत्रित मात्रा में छोड़ते हैं (2-20 लीटर/घंटा)।
- वाल्व और कनेक्टर्स: प्रवाह को रेगुलेट करने और पाइपों को जोड़ने में मदद करते हैं।
ड्रिप सिस्टम के लाभ
- पानी की 50-70% बचत: पारंपरिक सिंचाई की तुलना में।
- उत्पादकता में 50% वृद्धि: पौधों को सही मात्रा में पानी और पोषक तत्व मिलते हैं।
- कम श्रम लागत: स्वचालित प्रणाली होने के कारण मजदूरी की आवश्यकता कम।
- मिट्टी का कटाव रुकता है: पानी सीधे जड़ों तक पहुंचने से मिट्टी की संरचना बनी रहती है।
- उर्वरक की बचत: फर्टिगेशन तकनीक से खाद सीधे पौधों तक पहुंचती है।
ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाने का चरणबद्ध तरीका
- योजना बनाएं:
- खेत का आकार, पौधों की दूरी, पानी के स्रोत (कुआं, टैंक) और मिट्टी के प्रकार का अध्ययन करें।
- उपकरण इकट्ठा करें:
- मेनलाइन, सबमेनलाइन, ड्रिपर्स, फिल्टर, वाल्व, और कनेक्टर्स खरीदें।
- मेनलाइन बिछाएं:
- पानी के स्रोत से मेनलाइन को जोड़ें। इसे जमीन में 1.5-2 फीट गहराई पर बिछाएं।
- सबमेनलाइन और ड्रिपर्स लगाएं:
- मेनलाइन से सबमेनलाइन को कनेक्ट करें। प्रत्येक पौधे के पास ड्रिपर लगाएं और एमिटर स्टेक्स की मदद से जड़ों तक पानी पहुंचाएं।
- फिल्टर और वाल्व लगाएं:
- पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए स्क्रीन या सैंड फिल्टर लगाएं। वाल्व से प्रवाह नियंत्रित करें।
- टेस्टिंग और मेंटेनेंस:
- सिस्टम चालू करके लीकेज चेक करें। नियमित रूप से फिल्टर साफ करें और ड्रिपर्स के छिद्रों को बंद होने से बचाएं।
ड्रिप सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
- फसल अनुसार डिज़ाइन: फलदार पेड़ों (आम, अमरूद) के लिए सबसर्फेस ड्रिप, सब्जियों के लिए टॉप फीड ड्रिप चुनें।
- सूरज से बचाव: पाइपों को मल्चिंग से ढकें ताकि UV किरणों से खराब न हों।
- सरकारी सब्सिडी: भारत सरकार ड्रिप सिस्टम पर 50-90% अनुदान देती है—स्थानीय कृषि विभाग से जानकारी लें।

ड्रिप इरिगेशन न केवल पानी बचाता है बल्कि किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार है। सही योजना और रखरखाव से यह प्रणाली 10-15 साल तक चल सकती है। अगर आपके पास सीमित पानी है या उच्च मूल्य वाली फसलें उगाते हैं, तो यह तकनीक आपके लिए आदर्श विकल्प है!

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